पंजाब यूनिवर्सिटी में होने वाला श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित सेमिनार अचानक रद्द कर दिया गया। इस फैसले से आम आदमी पार्टी (AAP) ने नाराज़गी जताई है और केंद्र की बीजेपी सरकार पर राजनीतिक दबाव डालने का आरोप लगाया है।
श्री आनंदपुर साहिब से AAP सांसद और पार्टी के पंजाब महासचिव मलविंदर सिंह कंग ने इस फैसले को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद” बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी पंजाब के गौरवशाली इतिहास और विरासत को दबाने की कोशिश कर रही है।
कंग बोले — “गुरु साहिब की शहादत पर चर्चा से डर क्यों?”
मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सेमिनार रद्द करने का फैसला दिल्ली में बैठे अपने ‘आकाओं’ यानी केंद्र सरकार के दबाव में लिया है।
उन्होंने सवाल उठाया — “जब श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत पूरी मानवता के लिए प्रेरणा है, तो उस पर चर्चा करने से डर क्यों लगता है?”
क्यों रद्द हुआ सेमिनार?
छात्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 27 अक्टूबर को होने वाले इस सेमिनार की अनुमति इसलिए रद्द की, क्योंकि इसमें प्रख्यात सिख विचारक और लेखक सरदार अजमेर सिंह को बुलाया गया था।
प्रशासन का कहना है कि सरदार अजमेर सिंह “विवादित व्यक्ति” हैं।
लेकिन सांसद कंग ने इस तर्क को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि “अजमेर सिंह जी पिछले 30 सालों से सार्वजनिक जीवन में हैं, उन पर कोई केस नहीं है और वो देश-विदेश की यूनिवर्सिटियों में बोलते रहे हैं। उन्हें रोकना अकादमिक फ्रीडम यानी शैक्षणिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।”
सांसद ने VC को लिखा पत्र
कंग ने इस पूरे मामले पर पंजाब यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. रेनू विग को एक पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है।
उन्होंने कहा कि कुलपति को किसी भी राजनीतिक दबाव में नहीं झुकना चाहिए और सेमिनार की अनुमति फिर से बहाल करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत हमारे सिलेबस का हिस्सा होनी चाहिए, ताकि नौजवान इससे प्रेरणा लेकर बेहतर भविष्य बना सकें।”
“यह सिर्फ एक सेमिनार नहीं, सोच पर हमला है”
AAP सांसद ने कहा कि यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि सोच पर हमला है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नहीं चाहती कि पंजाब के युवाओं को अपनी इतिहास और विरासत के असली नायकों के बारे में सच्ची जानकारी मिले।
उन्होंने इस घटना को शहीद भाई जसवंत सिंह खालड़ा की तस्वीर हटाए जाने जैसी घटनाओं की एक कड़ी बताया।
कंग के मुताबिक, “यह सब पंजाब के नौजवानों और सिख विरासत की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।”
AAP का साफ संदेश
AAP नेता ने कहा कि “पंजाब सरकार अपनी विरासत, इतिहास और युवाओं की आवाज़ को दबाने की किसी भी कोशिश का विरोध करेगी।
गुरु साहिब की कुर्बानी पूरी दुनिया मानती है, इसलिए इस विषय पर चर्चा रोकना बेहद शर्मनाक है।”
इस पूरे मामले ने पंजाब की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है —
क्या शैक्षणिक संस्थान अब राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं?
क्या इतिहास और विचारों पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है?
आम आदमी पार्टी ने साफ कहा है कि वह गुरु साहिब की शहादत पर चर्चा रोकने की किसी भी कोशिश को “तानाशाही” मानेगी और उसका विरोध करती रहेगी।

