उन्नाव–बाराबंकी–लखनऊ में स्टिंग से सामने आया पूरा रेट कार्ड, बाबू बोले– ‘ये पैसा ऊपर तक जाता है’
यूपी में बिजली विभाग में घूसखोरी का नया और चौंकाने वाला तरीका सामने आया है। अब बाबू QR कोड स्कैन कराकर ऑनलाइन रिश्वत ले रहे हैं। हमारी टीम ने लखनऊ, उन्नाव और बाराबंकी में इन्वेस्टिगेशन किया, जिसमें पता चला कि बिजली से जुड़ा कोई भी काम हो—लोड बढ़ाना हो, सोलर पैनल की परमिशन चाहिए हो या फैक्ट्री के लिए सोलर इंस्टालेशन… हर काम के लिए फिक्स रेट तय हैं।
कैसे चल रहा है रिश्वत का पूरा सिस्टम?
जिन जिलों में स्टिंग किया गया—उन्नाव और बाराबंकी—वहां साफ दिखा कि रिश्वतखोरी कोई छोटी–मोटी चीज नहीं, बल्कि पूरी चेन पर आधारित है।
बाबू खुलेआम बोल रहे हैं कि जो पैसा वे लेते हैं, वह JE, SDO और EXEN तक पहुंचता है।
मतलब सिस्टम नीचे से लेकर ऊपर तक सेट है।
उन्नाव में सबसे बड़ा खुलासा – बाबू ने ऑन कैमरा लिया 1000 रुपए, QR कोड से
सबसे पहले हमारी टीम उन्नाव पहुंची। यहां एक व्यक्ति जो अपनी छत पर सोलर पैनल लगवाना चाहता था, उसकी फाइल लेकर बिजली वितरण खंड के दफ्तर पहुंचे।
ऑफिस में बैठे बाबू प्रभात साहू ने फाइल देखते ही कहा:
- “एक फाइल का 1000 रुपये लगेगा।”
- “कैश नहीं है तो ऑनलाइन कर दीजिए… सभी ऑनलाइन देते हैं।”
और उन्होंने मोबाइल में दिखाया QR कोड, जिसे स्कैन कर हमारी टीम ने 1000 रुपये ट्रांसफर किए। इससे साफ हो गया कि अब रिश्वत डिजिटल तरीके से भी ली जा रही है।
एक दिन में 25 हजार की कमाई!
बात करते–करते प्रभात ने ये भी बताया कि वह रोज लगभग 25 फाइलें करता है।
यानि सिर्फ सोलर इंडेंट का ही 25,000 रुपये रोज की रिश्वत।
जब पूछा कि ये पैसा कहां जाता है, तो प्रभात ने साफ कहा:
- “ऊपर तक जाता है—JE, SDO, EXEN तक।”
- “जो मैडम (शांति) दे देती हैं, वही ले लेते हैं।”
यानि प्रभात पैसे इकट्ठा करता है, और ‘मैडम’ हर किसी तक पैसा पहुंचाती हैं।
शांति मैडम—पूरे हिसाब की इंचार्ज
थोड़ी देर बाद हमारी मुलाकात शांति मैडम से हुई। उन्होंने पूरा रेट कार्ड बताया:
लोड बढ़ाने की रिश्वत: 500 रुपए प्रति केस
सोलर पैनल इंडेंट (घरों के लिए): 1000 रुपए
फैक्ट्री में 30 kW सोलर लगवाने की परमिशन: 30,000 रुपए
जब उनसे पूछा गया कि इंडेंट में कुछ कम हो सकता है?
तो उन्होंने तुरंत कहा:
- “नहीं, ये फिक्स है।”
मतलब रेट सेट है, मोलभाव नहीं होगा।
बाराबंकी में भी मिलते-जुलते रेट
बाराबंकी में कम्प्यूटर ऑपरेटर अमित ने हमें बाबू आकाश मौर्य का नंबर दिया।
आकाश ने कचहरी के पास बुलाकर कहा:
- “इंडेंट 1000 में हो जाता है, लोड बढ़ाने के 500 लगेंगे।”
- “आप फाइल भेजिए… बाकी सब मैं मैनेज कर लूंगा। EXEN तक बात हो जाएगी।”
यानी बाराबंकी में भी वही सिस्टम—फिक्स रेट, और पूरी चेन।
लखनऊ में रजिस्टेशन के नाम पर ‘इच्छा शक्ति’ की रिश्वत
लखनऊ के NEDA ऑफिस में हमारी मुलाकात संजू भटनागर से हुई।
हमने पूछा कि कंपनी को सोलर वेंडर बनने के लिए क्या चाहिए?
मैडम बोलीं:
- “ढाई लाख रुपयों की बैंक गारंटी।”
- फिर धीरे से कहा—
“बाकी जो इच्छा शक्ति हो दे दीजिए।”
यानि यहां रेट लिस्ट नहीं, लेकिन रिश्वत लेने का सिस्टम मौजूद है।
पहले भी कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं
यही सिस्टम कब से चल रहा है, इसका अंदाज़ा पहले हुई कार्रवाइयों से लगाया जा सकता है—
- सिद्धार्थनगर में JE जितेंद्र दूबे 1 लाख की रिश्वत मांगते पकड़े गए
- फतेहपुर में SDO प्रेमचंद और उसका मुंशी 10,000 लेते गिरफ्तार
- चित्रकूट में दो कर्मचारी 6000 लेते रंगेहाथ पकड़े गए
फिर भी सिस्टम नहीं रुका।
क्यों नहीं रुकती रिश्वत? तीन बड़े कारण
- अंदर से संरक्षण – बाबुओं को पता है कि ऊपर वाले अफसर भी पैसा खा रहे हैं।
- ऑनलाइन पेमेंट का बहाना – पूछताछ हुई तो कह देंगे “ग्राहक ने जबरदस्ती पेमेंट कर दिया।”
- शिकायतें लंबित – महीनों तक कार्रवाई नहीं होती, इसलिए डर खत्म।
जिम्मेदार क्या कह रहे हैं?
- उन्नाव EXEN: “सख्त कार्रवाई करेंगे।”
- बाराबंकी EXEN: “सबूत दें, बर्खास्त कराएंगे।”
- ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा: सवाल भेजे गए, मगर जवाब नहीं दिया।
यूपी का बिजली विभाग एक सेट सिस्टम पर चलता दिख रहा है—
जहां हर काम के रेट तय, पैसा ऑनलाइन वसूला जा रहा, और ऊपर तक कट जाती है।
बाबू, JE, SDO, EXEN—सब इस चेन का हिस्सा दिखते हैं।
यह सिस्टम तब तक चलता रहेगा,
जब तक ऊपर बैठे लोग इसे रोकने की इच्छा नहीं दिखाएंगे।
