Stubble Burning की समस्या से निपटने के लिए Punjab Government की बड़ी पहल, Cooperative Banks के ज़रिए शुरू की Crop Residue Management Loan Scheme

पंजाब में हर साल पराली जलाने (Stubble Burning) से बढ़ते वायु प्रदूषण और उससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए पंजाब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में सरकार ने आज संशोधित फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना (Crop Residue Management Loan Scheme) शुरू की। यह योजना किसानों और सहकारी सभाओं को आधुनिक मशीनरी उपलब्ध कराकर पराली प्रबंधन को आसान बनाएगी।

इस योजना का उद्देश्य किसानों को ऐसी सुविधाएं देना है जिससे वे पराली जलाने के बजाय उसका सही ढंग से प्रबंधन कर सकें। यह कदम न केवल वायु प्रदूषण को कम करेगा बल्कि सतत खेती (Sustainable Farming) को बढ़ावा देगा और ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।

योजना की शुरुआत और मंजूरी

इस योजना को राज्य की सहकारी सभाओं के माध्यम से लागू किया जाएगा।

  • सुमेर सिंह गुर्जर, वित्त आयुक्त (सहकारिता) और
  • गिरीश दियालन, रजिस्ट्रार (सहकारी सभाएं)

इनकी अगुवाई में इस योजना को मंजूरी दी गई है। सरकार का मानना है कि सहकारी सभाओं (Cooperative Societies) की भागीदारी से यह योजना ज़्यादा प्रभावी और तेज़ी से लागू हो पाएगी।

योजना की मुख्य बातें:

  1. सहकारी सभाओं के लिए बड़ी सब्सिडी
  • प्राथमिक कृषि सहकारी सभाएं (PACS) और बहु-उद्देश्यीय सहकारी सभाएं (Multipurpose Cooperative Societies)
    • मशीनरी खरीदने पर 80% तक सब्सिडी मिलेगी।
    • अधिकतम सब्सिडी ₹24 लाख तक होगी।
    • इससे सहकारी सभाएं आसानी से आधुनिक उपकरण खरीद पाएंगी और किसानों को उपलब्ध करवा सकेंगी।
  1. किसानों के लिए सब्सिडी
  • व्यक्तिगत किसान फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी खरीदने पर 50% सब्सिडी के पात्र होंगे।
  • बाकी 25% राशि किसान को खुद वहन करनी होगी, जबकि शेष राशि लोन के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।
  1. अग्रिम राशि (Advance Payment) की सुविधा
  • मशीनरी खरीदने के लिए दी जाने वाली कुल लोन राशि का 10% हिस्सा अग्रिम के रूप में तय किया गया है।
  • यह किसानों और सभाओं को मशीनरी खरीदने में आसानी देगा।

पराली प्रबंधन से प्रदूषण में कमी

हर साल अक्टूबर-नवंबर में पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलाने की वजह से

  • दिल्ली-NCR और उत्तर भारत के कई राज्यों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।
  • सांस की बीमारियां और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।

पंजाब सरकार की इस योजना के तहत अब पराली को जलाने की बजाय बायो-एनर्जी प्लांट्स (Bio-Energy Plants) में भेजा जाएगा।

  • इससे पराली का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) बनाने में होगा।
  • यह राज्य की हरित अर्थव्यवस्था (Green Economy) को भी मजबूत करेगा।
  • साथ ही, ग्रामीण युवाओं के लिए नए रोजगार पैदा होंगे।

मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस मौके पर कहा कि उनकी सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए हर संभव मदद कर रही है।

“हमारा लक्ष्य किसानों को आधुनिक मशीनरी और आर्थिक सहायता देकर पराली जलाने की मजबूरी खत्म करना है। यह योजना न केवल पर्यावरण को बचाएगी, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से मज़बूत करेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी।”

उन्होंने कहा कि यह पहल पराली जलाने की समस्या, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से जुड़ी चुनौतियों को हल करने में मदद करेगी।

केंद्र सरकार से फंड को लेकर विवाद भी जारी

पंजाब सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब राज्य और केंद्र सरकार के बीच एसडीआरएफ (State Disaster Response Fund) को लेकर विवाद चल रहा है।

  • हाल ही में भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि पंजाब सरकार एसडीआरएफ फंड का सही इस्तेमाल नहीं कर रही और इसका हिसाब नहीं दे रही।
  • जवाब में पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आधिकारिक आंकड़े जारी किए और भाजपा के आरोपों को झूठा बताया।

एसडीआरएफ के आंकड़े (1 अप्रैल 2022 से 10 सितंबर 2025 तक):

वित्तीय वर्ष केंद्र से प्राप्त राशि खर्च की गई राशि
2022-23 ₹208 करोड़ ₹61 करोड़
2023-24 ₹645 करोड़ ₹420 करोड़
2024-25 ₹488 करोड़ ₹27 करोड़
2025-26 ₹241 करोड़ ₹140 करोड़

कुल:

  • केंद्र से प्राप्त राशि: ₹1582 करोड़
  • खर्च की गई राशि: ₹649 करोड़
  • बाकी राशि: ₹933 करोड़ (चल रहे और आने वाले राहत कार्यों में इस्तेमाल हो रही है)

चीमा ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सिर्फ राजनीति कर रही है और संकट की घड़ी में भी लोगों को गुमराह कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने पंजाब के हजारों करोड़ रुपये के वैध बकाये को रोके रखा है।

इस योजना का महत्व

  • प्रदूषण में कमी: पराली जलाने की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।
  • किसानों की मदद: उन्हें आधुनिक मशीनरी और सब्सिडी मिलेगी जिससे खेती आसान और लागत कम होगी।
  • रोजगार के अवसर: मशीनरी संचालन, मरम्मत और बायो-एनर्जी प्लांट्स में नए रोजगार पैदा होंगे।
  • स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन: पराली का उपयोग कोयला जैसे प्रदूषक ऊर्जा स्रोतों की जगह स्वच्छ ऊर्जा के लिए किया जाएगा।

पंजाब सरकार की यह योजना किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए डबल बेनिफिट वाली है।

  • इससे न केवल पराली जलाने की समस्या का समाधान होगा बल्कि
  • वायु प्रदूषण कम होगा,
  • किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी और
  • ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

अगर इस योजना को सही तरीके से लागू किया गया, तो यह पंजाब ही नहीं, पूरे उत्तर भारत के लिए एक मिसाल बन सकती है।

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