जन सुराज पार्टी को मिला ‘स्कूल बैग’ चुनाव चिन्ह, शिक्षा को बताया बदलाव की चाबी
जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार की मौजूदा राजनीति पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) की 30-35 साल की सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इनकी नीतियों ने बिहार को “मजदूरों का प्रदेश” बना दिया।
“बच्चों के कंधों पर बोरे नहीं, स्कूल बैग होने चाहिए” – प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा,
“बिहार के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से दूर कर, उनके कंधों पर बोरे लाद दिए गए। हमारी पार्टी की सोच है कि अब बच्चों के कंधों पर बोरे नहीं, स्कूल बैग होंगे। वे पढ़ेंगे, नौकरी करेंगे और एक अच्छी जिंदगी जिएंगे।”
उनका साफ कहना है कि गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा को मिटाने का एकमात्र उपाय शिक्षा है। जन सुराज पार्टी इसी सोच के साथ बिहार में बदलाव की बात कर रही है।
जन सुराज को मिला चुनाव चिन्ह ‘स्कूल बैग’
चुनाव आयोग ने जन सुराज पार्टी को ‘स्कूल बैग’ का चिन्ह दिया है, जिसे पार्टी ने अपनी विचारधारा से जोड़ते हुए warmly welcome किया। प्रशांत किशोर ने कहा कि यह सिर्फ एक चुनाव चिन्ह नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की उम्मीद है।
मोदी सरकार पर भी साधा निशाना
ANI को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा:
“बीजेपी को केंद्र में 11 साल और बिहार में लगभग 20 साल हो गए हैं। फिर भी बिहार के हालात नहीं बदले। अब भी यहां भूख, गरीबी और मजबूरी है। आप बताइए, कौन सा ऐसा एक क्षेत्र है जहां बिहार देश में पहले नंबर पर है?”
उन्होंने सरकार पर फर्जी आंकड़े (manipulated data) पेश करने का आरोप लगाया, खासतौर पर शौचालय निर्माण और शिक्षा सुधारों के दावों पर सवाल उठाए।
बिहार विधानसभा का मौजूदा गणित
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। मौजूदा स्थिति इस तरह है:
एनडीए (131 सीटें):
- बीजेपी (80)
- जेडीयू (45)
- हम (S) (4)
- निर्दलीय (2)
इंडिया गठबंधन (111 सीटें):
- RJD (77)
- कांग्रेस (19)
- CPI (ML) (11)
- CPI (2)
- CPI (M) (2)
जन सुराज पार्टी अभी किसी गठबंधन में नहीं है, लेकिन वह इस साल होने वाले चुनाव में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
चुनाव कब होंगे?
बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में संभावित हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी आधिकारिक तारीख की घोषणा नहीं की है। सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं और जन सुराज भी पहली बार जोर-शोर से मैदान में उतर रही है।
प्रशांत किशोर का यह बयान एक बार फिर बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म देता है। वे खुद को एक विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं, जो शिक्षा के ज़रिए बदलाव लाना चाहता है। अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता ‘स्कूल बैग’ चिन्ह को कितना समर्थन देती है।