Ludhiana West में Congress और BJP को बड़ा झटका, सैकड़ों नेता हुए AAP में शामिल Cabinet Minister Tarunpreet Singh Sondh ने किया leaders का welcom, कहा – जनता AAP government से खुश है

लुधियाना पश्चिम उपचुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा को करारा झटका लगा है। सैकड़ों नेता और कार्यकर्ता इन पार्टियों को छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। इससे ‘आप’ के हौसले जहां बुलंद हैं, वहीं विरोधी पार्टियों में हड़कंप मच गया है।

सोमवार को लुधियाना में हुए एक खास कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंध ने सभी नए नेताओं का पार्टी में स्वागत किया। इस मौके पर ‘आप’ नेता डॉ. सन्नी आहलूवालिया और हरचंद सिंह बरसट भी मौजूद रहे।

कांग्रेस और भाजपा को एक साथ झटका

जो नेता ‘आप’ में शामिल हुए हैं, उनमें कई जाने-माने नाम शामिल हैं।
कांग्रेस छोड़ने वाले प्रमुख नेता हैं –
दीप संधू, भोला, जस्सा, गोली, मोनी, गुरप्रीत सिंह, विजय पाल, मुकेश, बंटी गुज्जर, हैप्पी गुज्जर, आदित्य, सुलेख चंद, राहुल, शिव, शिवम, अजय, अश्विनी, साहिल, अभिषेक, अनिल, सुरिंदर, मीनू, अक्षय, गगन, सचिन, आकाश, जतिन, अंश, रोहित, गुरनाइक, रॉबिन, सैम और जतिंदरपाल सिंह बेदी।

 

 

भाजपा की ओर से जो नेता आपमें आए, उनमें प्रमुख हैं –
भाजपा नेता जतिंदरपाल सिंह बेदी, भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष रोहित मान, उपाध्यक्ष प्रिंस बागान और अमित कुमार।

इसके अलावा सुमित सूद, काकू सूद, सुनील, शम्मी, करम, संजीव कुमार चावला, विशाल, पवन, मनदीप, आशु, अरुण, साहिल, रोहन, करण, विपिन कुमार, जसवंत कौर और मधु बाला जैसे कई और नेता भी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए।

क्यों छोड़ी पुरानी पार्टियां?

पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं ने बताया कि वे अब बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के काम करने का तरीका और मुख्यमंत्री भगवंत मान की सोच उन्हें पसंद आई। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘आप’ के एक्शन से वे प्रभावित हैं।

मंत्री सौंध ने क्या कहा?

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंध ने कहा, “आज इतने सारे नेताओं का ‘आप’ में आना यह साबित करता है कि लोग अब सच्चे विकास को चाहते हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार जो काम कर रही है, वह जनता के हित में है। लुधियाना पश्चिम के लोग जरूर ‘आप’ उम्मीदवार संजीव अरोड़ा को रिकॉर्ड वोटों से जिताएंगे।”

लुधियाना पश्चिम में इस राजनीतिक हलचल ने उपचुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। जहां आम आदमी पार्टी को लगातार समर्थन मिल रहा है, वहीं विरोधी दलों के लिए यह खतरे की घंटी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बढ़ते समर्थन का असर चुनाव परिणामों पर कितना पड़ता है।

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