भारतीय नौसेना ने आज एक और बड़ी ताकत अपने बेड़े में जोड़ ली है। विशाखापत्तनम नेवल डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना में पहला Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) यानी ‘पनडुब्बी रोधी युद्धपोत’ INS अर्णाला को शामिल किया गया। इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी मौजूद रहे।
इस नए युद्धपोत के आने से भारत की समुद्री सुरक्षा और भी मजबूत हो जाएगी, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की पनडुब्बी गतिविधियों पर नजर रखने में यह जहाज बेहद मददगार साबित होगा।
INS अर्णाला क्या है?
INS अर्णाला, भारतीय नौसेना का पहला ऐसा जहाज है जो खास तौर पर कम गहराई वाले समुद्र (shallow water) में ऑपरेशन के लिए बनाया गया है। इसका काम है दुश्मन की पनडुब्बियों को ढूंढना, उनका पीछा करना और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें खत्म करना।
यह 77 मीटर लंबा युद्धपोत है और इसकी स्पीड करीब 25 नॉट्स (यानि लगभग 46 किमी प्रति घंटा) है। इसमें लगभग 57 नौसेना अधिकारी और जवान तैनात रह सकते हैं।
किसने बनाया INS अर्णाला?
इस युद्धपोत को कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) और L&T शिपबिल्डर्स ने मिलकर बनाया है। यह 16 ऐसे जहाजों की श्रृंखला का पहला हिस्सा है। इसकी सबसे खास बात ये है कि यह 80% तक स्वदेशी तकनीक से बना है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इसकी ताकत और काम
INS अर्णाला एक multi-role जहाज है, यानी यह एक साथ कई तरह के काम कर सकता है:
- पनडुब्बियों का पता लगाना और उन्हें खत्म करना
- तटीय क्षेत्रों की निगरानी
- खोज और बचाव अभियान (Search & Rescue)
- दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना
- तटीय रक्षा में अहम भूमिका निभाना
आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
INS अर्णाला सिर्फ एक जहाज नहीं है, यह भारत की स्वदेशी निर्माण क्षमता और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इससे यह साफ संदेश जाता है कि अब भारत अपने युद्धपोत खुद बना सकता है और उसे आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस कर सकता है।
आदर्श वाक्य: “अर्णवे शौर्यम्”
इस युद्धपोत का आदर्श वाक्य है “अर्णवे शौर्यम्”, जिसका मतलब है – समुद्र में साहस।
यह नारा नौसेना के बहादुर जज़्बे और समर्पण को दर्शाता है, जो हर परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं।
INS अर्णाला के आने से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। यह न सिर्फ दुश्मन की पनडुब्बियों के लिए खतरा बनेगा, बल्कि भारत की समुद्री सीमा को और ज्यादा सुरक्षित बनाएगा।
यह युद्धपोत यह भी साबित करता है कि भारत अब सिर्फ सैन्य ताकत में नहीं, तकनीकी रूप से भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।