Haryana में कुम्हार समुदाय के लिए सैनी सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की है। अब कुम्हारों को गुजरात मॉडल पर आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित किया जाएगा, और हर गांव में उनके कार्य के लिए 5 एकड़ भूमि आरक्षित की जाएगी। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए Haryana माटी कला बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग कार्यालय के सहयोग से रणनीति तैयार कर चुका है।
योजना के अंतर्गत न केवल कुम्हारों को काम के लिए उपयुक्त माटी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, बल्कि उनके पारंपरिक हुनर को आधुनिक प्रशिक्षण के माध्यम से और अधिक निखारा जाएगा। अब वे पारंपरिक चाक की जगह सौर ऊर्जा और बिजली से चलने वाले हाईटेक चाक का इस्तेमाल कर सकेंगे।
उनका काम बच्चों की गुल्लक, दीपावली के मिट्टी के दीये, ठंडे पानी के मटके या चाय के कुल्हड़ बनाने तक ही सीमित नहीं रहेगा। कुम्हार मिट्टी के बर्तनों के साथ सजावट और जरूरत का सामान बनाकर अपनी नई पहचान बना सकेंगे। इसके लिए हरियाणा का माटी कला बोर्ड गुजरात के मॉडल (Gujrat Model) की तर्ज पर काम करना शुरू करेगा। गुजरात की सरकार ने पिछले एक दशक में अपनी मिट्टी और कुम्हारों को बढ़ावा देेने के लिए उन्हें हाईटेक किया है। इसके साथ ही मिट्टी के बर्तनों को पहले की तरह प्रचलन में लेकर आई है। उसी की राह पर चलते हुए हरियाणा की सरकार ने यह फैसला लिया है।

जिसके तहत बोर्ड की ओर से प्रदेश के प्रत्येक गांव में कुम्हारों के लिए 5 एकड़ जमीन निर्धारित की जाएगी। अगर किसी गांव की मिट्टी के बर्तनों को बनाने के अनुकूल नहीं मिलेगी तो उन्हें पड़ोसी गांव के साथ कनेक्ट किया जाएगा जाएगा। इसके साथ ही कुम्हारों को स्कीम के तहत सब्सिडी पर लोन और आधुनिक उपकरण भी दिए जाएंगे। वहीं झज्जर में उनको ट्रेनिंग देने के लिए बंद पड़े केंद्र को भी फिर से खोला जाएगा।
बोर्ड ने इसके लिए जिलावार कुम्हारों की गिनती और प्रत्येक गांव की मिट्टी की जांच शुरू कर दी है। पहले चरण में कुरुक्षेत्र, झज्जर, हिसार और कैथल के 700 से अधिक कुम्हारों की लिस्ट तैयार की है। इनमें 76 कुम्हारों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है।