शहादत सप्ताह को लेकर जहाँ पूरे पंजाब में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, वहीं इस पर राजनीति होना ग़लत है । श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज्ज द्वारा साहिबज़ादों की शहादत दिवस के नाम को लेकर उठाए जा रहे सवालों का जवाब देते हुए भाजपा पंजाब के प्रवक्ता प्रितपाल सिंह बलियावाल ने कहा कि साहिबज़ादों की शहादत दिवस का नाम “बाल दिवस” रखने की सिफ़ारिश अकाली दल (बादल) और दिल्ली कमेटी ने की थी।
बलियावाल ने कहा कि वर्ष 2018 में 60 भाजपा सांसदों ने साहिबज़ादों की शहादत दिवस मनाने के लिए प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा था। शहादत के दिन को “बाल दिवस” नाम देने की बात अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल और दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने की थी, जिसके लिए एक सेमिनार आयोजित किया गया था। इस सेमिनार में उस समय की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और मांग करने वाले सांसद भी उपस्थित थे तथा उनका सम्मान भी किया गया था।
अपने ट्वीट में बलियावाल ने लिखा कि वे जत्थेदार साहिब से निवेदन करते हैं कि इन अकाली नेताओं, पूर्व दिल्ली कमेटी अध्यक्ष और बुद्धिजीवियों को बुलाकर पूछा जाए कि उन्होंने “बाल दिवस” नाम क्यों दिया, जिस पर आज सवाल उठाए जा रहे हैं।
बलियावाल ने कहा कि देश की आज़ादी के 75 वर्ष बाद, वर्ष 2022 से साहिबज़ादों की शहादत को दुनिया के हर देश में स्थित भारतीय दूतावासों में और पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जा रहा है, जिसके लिए समूची सिख कौम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की आभारी है।
उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने वर्ष 2022 में इस दिन को मनाने और इसके नाम का विरोध किया था और आज भी नाम को लेकर राजनीति कर रही है ?
बलियावाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भाजपा की भावना शहादतों को याद करते हुए आज की नई पीढ़ी को हमारे महान इतिहास और बलिदानों से जोड़ने की है, न कि बेवजह विवाद खड़े करने की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी का सिख कौम के साथ बहुत विशेष लगाव है। लेकिन जो लोग शहादत दिवसों के दौरान भी अनावश्यक धार्मिक मुद्दे खड़े कर राजनीति कर रहे हैं, वे महान शहादत का अपमान कर रहे हैं। सिख शख्सियतों को भी ऐसे बेवजह के विवादों से बचना चाहिए।
