उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आज यानी 28 अक्टूबर 2025 से “Special Intensive Revision” (SIR) की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह बड़ा कदम मतदाता सूची (Voter List) को सही, साफ़ और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है। यह प्रक्रिया 7 फरवरी 2026 तक चलेगी।
क्या है SIR?
SIR यानी मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण।
इसका मतलब है — हर राज्य में घर-घर जाकर यह जांच की जाएगी कि मतदाता सूची में दर्ज नाम सही हैं या नहीं।
अगर किसी का नाम गलत जुड़ गया है, कोई व्यक्ति अब उस पते पर नहीं रहता, या कोई मतदाता अब नहीं रहा, तो उस जानकारी को अपडेट किया जाएगा।
साथ ही, नए और पात्र मतदाताओं के नाम जोड़े जाएंगे।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य है —
मतदाता सूची को पूरी तरह शुद्ध (clean) बनाना
डुप्लीकेट या गलत नामों को हटाना
और हर नागरिक को सही वोटिंग अधिकार देना।
किन राज्यों में शुरू हुआ है SIR?
इस बार कुल 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस प्रक्रिया में शामिल हैं:
- उत्तर प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
- मध्य प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- तमिलनाडु
- राजस्थान
- केरल
- गुजरात
- गोवा
- पुडुचेरी
- लक्षद्वीप
- अंडमान और निकोबार
असम को फिलहाल इस सूची में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि वहां सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नागरिकता की जांच (NRC process) चल रही है।
इन 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ मतदाता
चुनाव आयोग के मुताबिक, इन 12 राज्यों में कुल करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं।
- उत्तर प्रदेश – 15.44 करोड़
- पश्चिम बंगाल – 7.66 करोड़
- तमिलनाडु – 6.41 करोड़
- मध्य प्रदेश – 5.74 करोड़
- राजस्थान – 5.48 करोड़
- छत्तीसगढ़ – 2.12 करोड़
मुख्य चुनाव आयुक्त का ऐलान
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर SIR की शुरुआत की घोषणा की।
उनके साथ चुनाव आयुक्त डॉ. एस.एस. संधू और डॉ. विवेक जोशी भी मौजूद रहे।
उन्होंने बताया कि बिहार में सफलतापूर्वक कराए गए SIR से मिले अनुभवों के आधार पर इस बार की प्रक्रिया को और आसान बनाया गया है।
कुछ फॉर्म और दस्तावेजों की जांच के तरीके में बदलाव किया गया है ताकि मतदाताओं को कम परेशानी हो।
अब हर मतदाता को एक यूनिक फॉर्म मिलेगा जिसमें उसका पुराना पता और फोटो पहले से छपा होगा।
अगर व्यक्ति अब वहां नहीं रह रहा है, तो वह फॉर्म में बदलाव कर सकता है।
आयोग ने मतदाताओं से आग्रह किया है कि वे रंगीन फोटो लगाएं ताकि पहचान पत्र (Voter ID) और साफ़ दिखे।
अभी वोटर लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा
जिन 12 राज्यों में SIR चल रहा है, वहां फिलहाल मतदाता सूची में
❌ कोई नया नाम नहीं जोड़ा जाएगा और
❌ कोई नाम नहीं हटाया जाएगा।
सारी एंट्री और बदलाव अब SIR की प्रक्रिया के दौरान ही किए जाएंगे।
SIR की पूरी टाइमलाइन
| चरण | समयावधि |
| गणना पत्रों की छपाई और BLO (Booth Level Officer) को प्रशिक्षण | 28 अक्टूबर – 3 नवंबर 2025 |
| घर-घर जाकर सत्यापन (Door to door verification) | 4 नवंबर – 4 दिसंबर 2025 |
| मतदाता सूची का मसौदा जारी | 9 दिसंबर 2025 |
| दावे और आपत्तियां दर्ज करने की तारीख | 9 दिसंबर 2025 – 8 जनवरी 2026 |
| दस्तावेज़ जांच, सुनवाई और सत्यापन | 9 दिसंबर 2025 – 31 जनवरी 2026 |
| अंतिम मतदाता सूची जारी | 7 फरवरी 2026 |
क्यों जरूरी है SIR?
चुनाव आयोग के अनुसार SIR शुरू करने की कई बड़ी वजहें हैं:
- तेजी से शहरीकरण (Urbanization) — लोग शहरों में जाकर बस रहे हैं, जिससे पुराने पते पर नाम रह जाते हैं।
- डुप्लीकेट नाम — कई लोगों के नाम दो जगह दर्ज हो जाते हैं।
- मृत मतदाताओं के नाम – कई बार मर चुके लोगों के नाम अभी भी सूची में रहते हैं।
- गलत तरीके से घुसपैठ कर नाम जुड़वाना – कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से अपने नाम वोटर लिस्ट में जोड़ लेते हैं।
इन सभी गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए SIR बहुत जरूरी माना गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आयोग का रुख
पश्चिम बंगाल में कुछ राजनीतिक दलों ने SIR पर सवाल उठाए हैं,
जिस पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ कहा कि —
“SIR एक संवैधानिक प्रक्रिया (Constitutional Process) है, और राज्य सरकारें इसमें सहयोग करने के लिए बाध्य हैं।”
उन्होंने बताया कि अब तक किसी भी राज्य से असहयोग की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।
बिहार में जब SIR हुआ था, तब भी सभी राजनीतिक दलों और उनके बूथ लेवल एजेंट्स ने पूरा सहयोग दिया था।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका किसी राजनीतिक दल से कोई मनमुटाव नहीं है, और न ही वह किसी के खिलाफ कोई टिप्पणी करता है।
इतिहास (Past Record)
भारत में यह प्रक्रिया कोई नई नहीं है।
1951 से 2004 तक 8 बार SIR कराया जा चुका है।
आखिरी बार 2002-2004 के बीच यह देशभर में हुआ था।
लगभग 21 साल बाद, अब यह नौवां SIR शुरू हुआ है।
देश के 12 राज्यों में शुरू हुई यह SIR प्रक्रिया आने वाले चुनावों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
इसके जरिए चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि देश की मतदाता सूची पूरी तरह सटीक, साफ़ और अपडेटेड हो — ताकि हर नागरिक को उसका सही मतदान अधिकार (Right to Vote) मिल सके और चुनावों की प्रक्रिया और भी पारदर्शी (Transparent) बन सके।

