पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ ने कई गांवों को बुरी तरह प्रभावित किया। बाढ़ का पानी तो अब उतर गया है, लेकिन असली चुनौती अब शुरू हुई है – लोगों की सेहत को ठीक रखना और बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों को रोकना। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक विशेष स्वास्थ्य अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान पूरे राज्य में लोगों तक घर-घर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का काम कर रहा है।
सरकार का लक्ष्य है कि 20 सितंबर 2025 तक हर बाढ़ प्रभावित घर तक डॉक्टरों और हेल्थ टीम को कम से कम एक बार जरूर पहुंचाया जाए। यह काम लगातार, यहां तक कि रविवार को भी, बिना रुके किया जाएगा।
2,303 बाढ़ प्रभावित गांवों में एक साथ अभियान
इस अभियान की शुरुआत 14 सितंबर 2025 से हुई है। पंजाब के 2,303 बाढ़ प्रभावित गांवों में एक साथ हेल्थ टीमें पहुंच रही हैं।
पहले जहां लोगों को इलाज और दवाई के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते थे, अब सरकार खुद उनके दरवाजे तक डॉक्टरों की टीम और जरूरी दवाओं की किट लेकर पहुंच रही है। यह अपने आप में अब तक का सबसे बड़ा स्वास्थ्य अभियान माना जा रहा है।
सीएम और पूरी सरकार मैदान में
इस अभियान की खासियत यह है कि यह सिर्फ हेल्थ डिपार्टमेंट का काम नहीं है, बल्कि पूरी सरकार इसमें सक्रिय है।
- सीएम भगवंत मान खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
- कैबिनेट मंत्री, विधायक, ज़िला प्रभारी और वॉलंटियर्स भी सीधे गांवों में मौजूद हैं।
- कोई मंत्री लोगों से मिल रहा है, तो कोई विधायक हेल्थ कैंप की व्यवस्था देख रहा है।
- गांव-गांव में आम आदमी पार्टी के नेता और वॉलंटियर्स भी सरकार की टीम के साथ खड़े हैं।
यह सिर्फ राहत कार्य नहीं बल्कि लोगों की जनसेवा का अभियान बन गया है।
हेल्थ कैंप और जरूरी सुविधाएं
जिन गांवों में अस्पताल या हेल्थ सेंटर नहीं हैं, वहां स्कूल, पंचायत भवन या आंगनवाड़ी केंद्र को अस्थायी मेडिकल कैंप में बदल दिया गया है।
हर कैंप में मौजूद हैं:
- बुखार और दर्द की दवाएं
- ओआरएस और डेटॉल
- मलेरिया और डेंगू की जांच किट
- फर्स्ट एड किट
डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट और नर्सिंग स्टूडेंट्स की टीम सुबह से शाम तक गांव-गांव लोगों की जांच कर रही है।
आशा वर्कर घर-घर जाकर यह सुनिश्चित कर रही हैं कि कोई भी परिवार छूट न जाए।
- अगर किसी बुजुर्ग को बुखार है,
- बच्चे की तबीयत खराब है,
- या किसी महिला को कमजोरी महसूस हो रही है,
तो तुरंत डॉक्टर से मिलवाया जा रहा है और दवाई दी जा रही है।
डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए फॉगिंग अभियान
बाढ़ के बाद मच्छरों का खतरा बढ़ जाता है। इसे देखते हुए सरकार ने 21 दिनों तक लगातार फॉगिंग करने का फैसला लिया है।
- फॉगिंग टीमें घर-घर जाकर पानी के स्रोतों की जांच कर रही हैं।
- जहां भी डेंगू या मलेरिया फैलने का खतरा होता है, वहां तुरंत स्प्रे और सफाई की जाती है।
- हर ब्लॉक का मेडिकल ऑफिसर इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड कर रहा है, जिससे काम की पूरी निगरानी हो सके।
संसाधन और तैयारी
इस बड़े अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने पहले से ही पुख्ता तैयारी की है।
- 550 से ज्यादा एंबुलेंस 24 घंटे सेवा में तैनात हैं।
- 85 जरूरी दवाओं और 23 मेडिकल सामान का भंडारण पहले ही कर लिया गया है।
- बड़े अस्पतालों के एमबीबीएस डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और फार्मेसी स्टाफ इस काम में जुटे हुए हैं।
- सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि इस अभियान को किसी भी हालत में रुकने नहीं देना है – न स्टाफ की कमी के कारण और न ही संसाधनों की वजह से।
जनता का बढ़ता भरोसा
जब सरकार सिर्फ आदेश नहीं देती, बल्कि खुद मैदान में काम करती है, तो लोगों का भरोसा बढ़ता है।
आज पंजाब के गांवों में लोग खुलकर कह रहे हैं कि यह पहली बार हो रहा है जब सरकार खुद उनके दरवाजे तक पहुंची है।
गांव-गांव में जब सफाई, फॉगिंग, स्वास्थ्य सेवाएं और दवाईयां सीधे लोगों को मिल रही हैं, तो जनता की जुबान पर सिर्फ एक ही बात है –
“ए सरकार नहीं, साडा भरोसा है… असी पूरे मान नाल आम आदमी पार्टी दे नाल खड़े हां।”
पंजाब में बाढ़ राहत के इस अभियान ने एक नई मिसाल कायम की है।
मान सरकार ने दिखाया है कि संकट के समय में सरकार सिर्फ प्रशासनिक आदेश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि जनसेवा के लिए सीधे लोगों तक पहुंच रही है।
इस अभियान का सबसे बड़ा संदेश यही है –“जब जनता को सबसे ज्यादा जरूरत हो, तब सरकार सबसे आगे खड़ी हो।”