मंड इलाके में ब्यास नदी का कहर लगातार जारी है। बाढ़ का पानी गांवों और खेतों को तबाह कर रहा है। इस बीच, राज्यसभा सदस्य और पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने खुद मैदान में उतरकर लोगों की मदद का जिम्मा संभाला है। उन्होंने कहा,
“ये समय सिर्फ ‘सरबत का भला‘ मांगने का नहीं, बल्कि वाकई में सरबत का भला करने का है।”
संत सीचेवाल का यह बयान और उनके प्रयास इस बात का सबूत हैं कि वे सिर्फ बातें नहीं कर रहे, बल्कि दिन-रात लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं।
मंड में बाढ़ का बढ़ता संकट
ब्यास नदी पर स्थित मंड के 46 गांव अभी भी बुरी तरह प्रभावित हैं। करीब 15,000 एकड़ जमीन पानी के नीचे है। ब्यास नदी का रुख बदल जाने से कई घर खतरे में हैं, जिसके चलते लोग मजबूरी में अपने घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं।
लगातार 29वें दिन भी बाढ़ का पानी कम नहीं हुआ है। कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, लेकिन अब भी कई लोग फंसे हुए हैं। स्थानीय संगत लगातार बाढ़ पीड़ितों की मदद में लगी हुई है।
संत सीचेवाल का दिन-रात का संघर्ष
संत सीचेवाल पिछले तीन हफ्तों से मंड में ही मौजूद हैं। वे हर सुबह 8:30 बजे से लेकर शाम 6-7 बजे तक खुद पानी में उतरकर फंसे लोगों को निकालते हैं।
- बच्चों को अपनी गोद में उठाकर सुरक्षित जगह ले जाते हैं।
- परिवारों का सामान और पशुओं तक को बचाने में मदद करते हैं।
- राहत सामग्री जैसे खाना, पानी और दवाइयां नाव के ज़रिए पहुंचाते हैं।
सिर्फ यही नहीं, उन्होंने तीन दिन और तीन रातों की मेहनत से एक विशाल नाव तैयार करवाई, जो बड़े पैमाने पर पशुओं और भारी मशीनरी को भी सुरक्षित जगह ले जाने में सक्षम है। यह मशीनरी लाखों की कीमत की होती है और इसे बचाना किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत है।
300 से ज्यादा जानवरों की जान बचाई
अगस्त के अंत तक संत सीचेवाल की टीम ने करीब 300 जानवरों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। उन्होंने अपनी 22 अगस्त की इंग्लैंड यात्रा भी रद्द कर दी, ताकि बाढ़ पीड़ितों की मदद जारी रख सकें।
उन्होंने कहा:
“मैं ऐसे समय में अपने लोगों को छोड़ नहीं सकता।”
राजनेताओं के मुकाबले निरंतर मौजूदगी
जहां कई नेता सिर्फ एक बार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का अस्थायी दौरा कर लौट गए, वहीं संत सीचेवाल लगातार वहीं डटे हुए हैं।
- 18 अगस्त – पूर्व क्रिकेटर और राज्यसभा सदस्य हरभजन सिंह ने दौरा किया।
- 20 अगस्त – पंजाब के जल संसाधन मंत्री मौके पर पहुंचे।
- 22 अगस्त – मुख्यमंत्री भगवंत मान बाढ़ प्रभावित इलाकों में आए।
लेकिन इन सबके बीच संत सीचेवाल लगातार लोगों के साथ खड़े रहे।
लोगों की उम्मीद बने संत सीचेवाल
बाढ़ के कारण जब किसानों की धान की फसलें पानी में डूब गईं, तो कई लोगों ने उम्मीद खो दी थी।
किसान निर्मल सिंह ने भावुक होकर कहा:
“जब हमारे खेत पानी में चले गए, हमने सोचा सब खत्म हो गया। लेकिन जब बाबा जी हर सुबह अपनी नाव में आते थे, तो हमें लगा कि हम अकेले नहीं हैं।”
यह बयान साफ दिखाता है कि संत सीचेवाल के प्रयासों ने लोगों में उम्मीद की नई किरण जगाई है।
अब भी जारी है संघर्ष
हालांकि बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतर रहा है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है। कई गांव अब भी पानी में घिरे हुए हैं और वहां पहुंचना बेहद मुश्किल है।
संत सीचेवाल और उनकी टीम अभी भी दिन-रात मेहनत कर रही है, ताकि हर व्यक्ति, हर परिवार और हर जानवर को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके।
मंड के लोगों का कहना है कि इस संकट की घड़ी में संत सीचेवाल का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनकी सोच, संवेदनशीलता और सेवा भाव ने एक बार फिर यह साबित किया है कि असली नेता वही है, जो मुश्किल वक्त में अपने लोगों के साथ खड़ा हो।