Punjab Panchayat Poll: पंजाब में रविवार सुबह जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। इन चुनावों में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पूरी ताकत झोंकी है। निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 9,000 से अधिक प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।
ये चुनाव करीब चार साल से सत्ता में काबिज AAP के लिए एक बड़ी कसौटी माने जा रहे हैं। वहीं, परिणाम अकाली दल और भाजपा के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देंगे—दोनों दल आगे गठबंधन में जाएंगे या अलग-अलग, इसका संकेत भी इन्हीं नतीजों से मिलेगा। कांग्रेस के लिए भी ये चुनाव अहम हैं, क्योंकि हालिया विवादों और अंदरूनी खींचतान के बावजूद पार्टी को जमीनी स्तर पर अपनी स्थिति का अंदाजा मिलेगा।
मोहाली को छोड़कर राज्य के 22 जिलों में 347 जिला परिषद सदस्यों और 153 पंचायत समितियों के लिए 2,838 सदस्यों के चुनाव कराए जा रहे हैं। जिला परिषद के लिए 1,280 और पंचायत समिति के लिए 8,495 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में सिर्फ 14 महीने का समय बचा है, ऐसे में यह चुनाव बेहद राजनीतिक रूप से गर्म माहौल में हो रहे हैं। सभी दल इसे अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी का आधार मान रहे हैं। शीर्ष नेताओं ने जोरदार प्रचार किया। AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर रणनीति बनाई। कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के बड़े नेता भी अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहे। अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, उनकी सांसद पत्नी हरसिमरत कौर बादल और उनके बेटे ने भी ग्रामीण इलाकों में व्यापक प्रचार किया।
हालांकि प्रचार विधानसभा चुनाव जितना शोरगुल वाला नहीं रहा, लेकिन रणनीति और सियासी जोड़-तोड़ बेहद तीव्र रही। इस दौरान विपक्ष ने सत्तारूढ़ दल और राज्य चुनाव आयोग पर लोकतांत्रिक मानदंडों के उल्लंघन और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आरोप लगाए। नामांकन में बाधा डालने और एक कथित ऑडियो क्लिप के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को फटकार लगाई। बाद में आयोग ने निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए। गौरतलब है कि ये चुनाव पिछली बार 2018 में हुए थे, जिन्हें इस साल मई में होना था, लेकिन टाल दिए गए थे।
