पंजाब विधानसभा ने ‘पवित्र ग्रंथों के अपमान को रोकने’ वाले ऐतिहासिक बिल (Punjab Prevention of Offences Against Holy Scripture(s) Bill, 2025) की समीक्षा और उसे और मजबूत बनाने के लिए 15 सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया है। इस समिति का नेतृत्व डॉ. इंदरबीर सिंह निज्जर करेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने इस कमेटी के गठन की घोषणा की। उन्होंने बताया कि यह समिति अगले छह महीनों के अंदर बिल का गहराई से अध्ययन करके उसमें जरूरी बदलाव सुझाएगी और एक बेहतर और मजबूत ड्राफ्ट पेश करेगी।
यह समिति मौजूदा विधायकों, पूर्व मंत्रियों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को शामिल करते हुए बनाई गई है, जो पंजाब सरकार के साथ मिलकर इस कानून को और बेहतर बनाने की दिशा में काम करेंगे।
समिति के सदस्य:
- डॉ. इंदरबीर सिंह निज्जर (चेयरमैन)
- डॉ. अजय गुप्ता
- डॉ. अमनदीप कौर अरोड़ा
- इंद्रजीत कौर मान
- जगदीश कम्बोज
- जंगी लाल महाजन
- तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा
- नीना मित्तल
- प्रो. बलजिंदर कौर
- प्रिंसिपल बुध राम
- ब्रह्म शंकर जिम्पा
- बलविंदर सिंह ढिल्लों
- मदनलाल बग्गा
- मनप्रीत सिंह अयाली
- मोहम्मद जमील-उर-रहमान
बिल को क्यों भेजा गया समिति के पास?
यह बिल एक विशेष सत्र में पंजाब सरकार द्वारा पेश किया गया था। हालांकि आम आदमी पार्टी के पास विधानसभा में बहुमत है, फिर भी स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इसे पास नहीं होने दिया और कमेटी के पास समीक्षा के लिए भेज दिया।
बिल का उद्देश्य और सजा:
इस बिल का मकसद सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों का सम्मान सुनिश्चित करना और उनके अपमान की घटनाओं पर कड़ी सजा देना है।
ड्राफ्ट बिल के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी भी धर्म के पवित्र ग्रंथ का अपमान करता है, तो उसे 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है।
अब यह समिति धार्मिक संस्थानों से सलाह-मशवरा करेगी, एक्सपर्ट्स की राय लेगी और उसके बाद फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।
पंजाब सरकार और विधानसभा ने इस संवेदनशील मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है। अब देखना होगा कि समिति क्या बदलाव सुझाती है और क्या अगला ड्राफ्ट ज्यादा प्रभावशाली और सभी धर्मों के हितों की रक्षा करने वाला होगा।