फाज़िल्का ज़िले में हाल ही में आई बाढ़ ने लोगों की ज़िंदगी को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया। लगातार बारिश और नदियों में बढ़ते पानी ने कई गाँवों और पंचायतों को अपनी चपेट में ले लिया। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, सड़कों और कच्चे घरों को भी भारी नुकसान पहुँचा। इस आपदा के कारण ग्रामीण इलाकों के लोग सबसे ज्यादा परेशान हुए और कई परिवार बेघर हो गए।
हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर पंजाब सरकार और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए। वहीं समाजसेवी संगठन भी सरकार के साथ मिलकर लोगों की मदद में जुट गए।
12 गाँव और 20 पंचायतें प्रभावित
फाज़िल्का विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ का असर सबसे ज्यादा देखने को मिला।
- कुल 12 गाँव और 20 पंचायतें पूरी तरह से पानी में डूब गईं।
- कई जगह खेतों में लगी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं।
- गाँवों को जोड़ने वाली सड़कों को भी भारी नुकसान हुआ, जिससे राहत सामग्री पहुँचाना मुश्किल हो गया।
विधायक और मंत्री ने किया दौरा
स्थानीय विधायक नरेंद्र पाल सिंह ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और प्रशासन को ज़मीनी स्तर पर राहत कार्यों की निगरानी के निर्देश दिए।
वहीं, पंजाब सरकार के मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने भी खुद कमान संभाली। उन्होंने प्रभावित गाँवों में जाकर लोगों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार हर ज़रूरी मदद देगी।
मंत्री सौंद ने खाने के पैकेट, दवाइयाँ और ज़रूरी सामान खुद लोगों तक पहुँचाया। इसके अलावा उन्होंने इलाके के युवाओं को राहत कार्यों में शामिल किया, जिससे काम में तेज़ी आई और ज्यादा परिवारों तक समय पर मदद पहुँच सकी।
स्वास्थ्य सेवाओं पर खास ध्यान
बाढ़ के बाद बीमारियों के फैलने का खतरा सबसे बड़ा होता है। इसे देखते हुए प्रशासन ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी।
- ज़िले में 8 मोबाइल मेडिकल टीमें चौबीसों घंटे सक्रिय रहकर गाँव-गाँव जाकर मरीजों का इलाज कर रही हैं।
- 26 अतिरिक्त मेडिकल टीमें राहत कैंपों में लगातार लोगों की देखभाल कर रही हैं।
इस दौरान कई संवेदनशील मामले भी सामने आए:
- चार महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी करवाई गई, जिनमें से एक महिला आज भी स्लेमपुर राहत कैंप में रह रही है।
- माँ और बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।
- यह प्रशासन और मेडिकल टीमों की तेज़ और सही समय पर की गई कार्रवाई का नतीजा है।
दुर्घटनाएँ और त्वरित बचाव कार्य
बाढ़ के बीच कुछ दुखद घटनाएँ भी हुईं, लेकिन प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से हालात संभाल लिए गए।
- दीवार गिरने से चार लोग घायल हुए, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुँचाया गया और इलाज कराया गया।
- करंट लगने की घटना में लोगों की सतर्कता से एक व्यक्ति की जान बचाई गई।
- एक बच्चा पानी में गिर गया, लेकिन एंबुलेंस की मदद से उसे तुरंत अस्पताल ले जाकर उसकी जान बचा ली गई।
3,800 परिवारों तक राहत सामग्री पहुँची
भारी पानी और खराब रास्तों के बावजूद प्रशासन और समाजसेवियों ने मिलकर बड़ी संख्या में परिवारों तक मदद पहुँचाई।
- एक ही राउंड में करीब 3,800 परिवारों तक राशन और जरूरी सामान वितरित किया गया।
- इसमें खाने के पैकेट, पीने का पानी, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक चीजें शामिल थीं।
- इस मदद से लोगों को थोड़ी राहत मिली और उनकी चिंताएं कम हुईं।
सरकार और समाज का संयुक्त प्रयास
इस संकट की घड़ी में सरकार और समाजसेवी संगठन दोनों एक साथ खड़े दिखाई दिए।
- मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने न सिर्फ राहत सामग्री बाँटी बल्कि युवाओं को राहत कार्य में शामिल कर राहत अभियान को तेज़ किया।
- समाजसेवी संस्थाओं ने भी राशन, दवाइयाँ और जरूरत का सामान पहुँचाने में बड़ा योगदान दिया।
धीरे-धीरे सामान्य हो रही ज़िंदगी
प्रशासन की लगातार कोशिशों और समाजसेवियों के सहयोग से बाढ़ प्रभावित इलाकों में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं।
- मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अधिकारी ज़मीनी स्तर पर हर स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं।
- गाँवों की सफाई, पानी निकालने और बीमारियों को रोकने के लिए लगातार काम हो रहा है।
लोगों को उम्मीद है कि यह मुश्किल समय जल्द ही पीछे छूट जाएगा और वे अपनी सामान्य ज़िंदगी में वापस लौट पाएंगे।
फाज़िल्का की यह बाढ़ यह साबित करती है कि जब सरकार और समाज साथ खड़े होते हैं तो किसी भी आपदा का सामना किया जा सकता है।
मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद, प्रशासनिक टीमों और समाजसेवियों की मेहनत के कारण आज हजारों परिवारों तक मदद पहुँच पाई है और ज़िंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है।