पंजाब के कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अमृतसर जिले को ‘नो-वार ज़ोन’ यानी ‘युद्ध-मुक्त क्षेत्र’ घोषित करने की अपील की है। उन्होंने यह मांग हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई सैन्य तनातनी के बाद की है।
रंधावा ने कहा कि अमृतसर, जहां सिखों का पवित्रतम स्थल श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) स्थित है, पूरी दुनिया के सिखों के लिए आस्था का केंद्र है। उन्होंने कहा, “इस शहर की पवित्रता धार्मिक सीमाओं से ऊपर है। यह शहर दुनिया को शांति, एकता और करुणा का संदेश देता है।”
क्यों उठाई यह मांग?
यह पत्र उस समय आया है जब 7 मई को भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (22 अप्रैल) में 26 लोगों की मौत के जवाब में पाकिस्तान और पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर हमले किए और बॉर्डर इलाकों में तीन दिन तक भारी गोलाबारी की।
रंधावा ने लिखा कि इस तरह की घटनाओं के बाद अमृतसर जैसे बॉर्डर से जुड़े शहरों पर खतरे की आशंका बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि अमृतसर की सुरक्षा को लेकर सिख समुदाय और नागरिक समाज में चिंता बढ़ गई है।
क्या है रंधावा की अपील?
रंधावा ने साफ किया कि उनका यह अनुरोध किसी राजनीतिक स्वायत्तता (जैसे वेटिकन सिटी) की मांग नहीं है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक मान्यता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास है।
उन्होंने लिखा, “आज के दौर में जब दुनिया में युद्ध और हिंसा का खतरा बढ़ रहा है, तो हमें अमृतसर जैसे आध्यात्मिक शहर को इन खतरों से बचाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।”
उन्होंने कहा कि सिख धर्म का मूल संदेश “सरबत दा भला” (सबकी भलाई) है, और इस संदेश को दुनिया में शांति और सह-अस्तित्व के प्रतीक के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा की मांग
रंधावा ने सुझाव दिया कि जिस तरह से वेटिकन और मक्का जैसे स्थलों की सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहमियत दी जाती है, उसी तरह अमृतसर को भी आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मान्यता मिलनी चाहिए और इसकी सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर संरचनाएं बनाई जानी चाहिए।
उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि वह इस दिशा में कूटनीतिक और कानूनी पहल करे और अमृतसर को ‘नो-वार ज़ोन’ घोषित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करे।