बाढ़ में Punjab Government का असली नेतृत्व: CM Bhagwant Mann ने दिखाई मिसाल, जनता के साथ खड़ी रही Government

पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ ने कई गांवों और इलाकों को तबाह कर दिया। लोग अपने घरों से बेघर हो गए, खेतों में लगी फसलें बर्बाद हो गईं और कई परिवारों का सबकुछ खत्म हो गया। इस मुश्किल समय में मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार ने जिस तरह से राहत और बचाव का काम किया, उसने यह साबित कर दिया कि असली लोकतंत्र क्या होता है।

सीएम का जमीनी दौरा कीचड़ में उतरकर लोगों का हाल जाना

अक्सर देखा जाता है कि नेता सिर्फ हेलीकॉप्टर से बाढ़ग्रस्त इलाकों का सर्वे करते हैं और दूर से देखकर चले जाते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद बाढ़ वाले इलाकों में पहुंचे।
वो कीचड़ और पानी में उतरकर सीधे लोगों से मिले, उनका हालचाल पूछा और उनकी परेशानियों को सुना।

इस दौरान उन्होंने कहा –
मैं मुख्यमंत्री नहीं, दुःख मंत्री हूं।
उनका यह बयान सीधा लोगों के दिलों में उतर गया। इससे लोगों को महसूस हुआ कि उनका नेता सिर्फ सत्ता की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति नहीं, बल्कि उनका अपना साथी है जो मुसीबत के समय उनके साथ खड़ा है।

सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं, पूरी कैबिनेट मैदान में उतरी

इस बार राहत कार्यों में सिर्फ सीएम ही नहीं, बल्कि पंजाब सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री भी सक्रिय रहे।
हर मंत्री को अलग-अलग इलाकों, खासकर अमृतसर और सीमावर्ती गांवों में भेजा गया।
वे सिर्फ दिखावा करने नहीं गए, बल्कि सच में मदद करने और राहत का काम करने पहुंचे।
सरकारी मीटिंग्स और औपचारिकताओं को छोड़कर, सरकार ने मैदान में उतरकर काम किया।

सबसे बड़ा मुआवज़ा पैकेज किसानों और परिवारों को सीधी मदद

पंजाब सरकार ने वादों से ज्यादा एक्शन दिखाया।

  • बाढ़ से तबाह हुई फसलों के लिए किसानों को ₹20,000 प्रति एकड़ का मुआवज़ा सीधे बैंक खाते में दिया गया।
  • जिन परिवारों के घर या सदस्य बाढ़ से प्रभावित हुए, उन्हें ₹4 लाख की आर्थिक सहायता दी गई।
  • हर बाढ़ प्रभावित गांव को ₹1 लाख तुरंत पुनर्वास के लिए दिया गया।

यह अब तक का भारत का सबसे बड़ा फसल मुआवज़ा पैकेज माना जा रहा है।

राहत शिविरों में दिखा असली लोकतंत्र

पंजाब सरकार ने 2,300 से ज्यादा गांवों में राहत शिविर लगाए।
इन शिविरों में खाना बांटने, डॉक्टरी कैंप लगाने और सफाई अभियान चलाने का काम किया गया।
यहां सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि आम लोग और स्थानीय स्वयंसेवक भी आगे आए।

कई जगहों पर लोग खुद राहत सामग्री लेकर पहुंचे।
लोगों ने अपने गांवों और बाज़ारों में दूसरों को जानकारी दी और मदद पहुंचाई।
इससे यह साफ हुआ कि जब सरकार और जनता साथ मिलकर काम करते हैं, तभी लोकतंत्र का असली रूप सामने आता है।

गणतंत्र दिवस पर बचाव का असली जश्न

जब पूरा देश गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाने में व्यस्त था, पंजाब सरकार ने उस दिन को राहत और बचाव का दिन बना दिया।
जहां बाकी जगहों पर औपचारिक झंडारोहण और परेड हो रही थी, वहीं पंजाब में सरकार और लोग मिलकर बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद कर रहे थे।

इससे यह संदेश गया कि लोकतंत्र का मतलब सिर्फ झंडा फहराना या भाषण देना नहीं है, बल्कि लोगों को ताकत, उम्मीद और राहत देना है।

प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल

खबर में यह भी सामने आया कि इस दौरान केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई।
न तो पीएम की तरफ से कोई बयान आया, न ही पंजाब के लिए कोई विशेष मदद का ऐलान हुआ।

लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री विदेशों में हो रही घटनाओं पर तो जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं,
लेकिन इस बार अपने ही देश के नागरिकों की मुसीबत पर खामोश रहे।
जबकि पंजाब में सीएम और उनकी टीम जमीनी स्तर पर काम कर रही थी।

यह तुलना अपने आप में बहुत कुछ कहती है और यह दिखाती है कि केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में जनता कितनी पीछे रह गई है।

लोकतंत्र का असली मतलब जनता और सरकार का साथ

लोकतंत्र का अर्थ है जनता की, जनता के लिए, और जनता द्वारा
पंजाब ने इस बाढ़ में यह बात सही मायनों में साबित कर दी।

जब लोग यह महसूस करते हैं कि सरकार उनकी है और उनके लिए काम कर रही है,
तभी लोकतंत्र मजबूत होता है।
इस बार न सिर्फ सरकार ने मदद की, बल्कि आम लोग भी आगे आए

  • सफाई अभियान से लेकर
  • मेडिकल कैंप तक
  • किसानों की समस्याओं को नीतियों में शामिल करने तक

हर जगह जनता और सरकार की साझेदारी नजर आई।

जैसे-जैसे बाढ़ का पानी घट रहा है, वैसे-वैसे यह साबित हो रहा है कि यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी, बल्कि एकता और असली नेतृत्व की मिसाल भी थी।

पंजाब ने दिखाया कि लोकतंत्र सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं, बल्कि एक निरंतर वादा है।
जब कभी इस बाढ़ का जिक्र होगा, यह कहानी हमेशा याद रखी जाएगी कि सरकार और जनता ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा

सीएम भगवंत मान और उनकी सरकार को हमेशा उस सरकार के रूप में याद किया जाएगा जिसने सिर्फ भाषण नहीं, बल्कि असली काम किया और लोकतंत्र को जिया।

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